ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।
अर्थ - हम त्रिनेत्र को पूजते हैं,सुगंधित हैं, हमारा पोषण करते हैंजो,जिस तरह फल, शाखा के बंधन से मुक्त हो जाता है,वैसे ही हम भी मृत्यु और नश्वरता से मुक्त हो जाएं।
No comments:
Post a Comment